सुख- दु:ख की महिमा|| कबीर दास

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सुख - दुःख सिर ऊपर सहै, कबहु न छाडै संग | रंग न लागै और का, व्यापै सतगुरु रंग | कबीर गुरु कै भावते, दुरहि ते दीसन्त | तन छीना मन ...

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